Raksha bandhan 2023 date, समय, इतिहास, अनुष्ठान और राखी का महत्व

raksha bandhan 2023 date, समय, इतिहास, अनुष्ठान और राखी का महत्व

रक्षा बंधन 2023 बुधवार, 30 अगस्त 2023 को मनाया जाएगा। राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त को सुबह 10:58 बजे से शुरू होगा और 31 अगस्त को सुबह 7:05 बजे तक रहेगा। रक्षा बंधन एक हिंदू त्योहार है जो भाई और बहन के बीच के प्रेम और सुरक्षा के लिए रक्षा बंधन का जश्न मनाते है। यह अन्य समुदायों, जैसे जैन और सिखों द्वारा भी मनाया जाता है।

इस त्योहार की उत्पत्ति वैदिक काल में हुई थी। एक किंवदंत के अनुसार, इंद्र, देवताओं के राजा, एक राक्षस वृत्रासुर से परेशान थे। इंद्र की बहन इंद्राणी ने उनकी कलाई पर एक राखी (एक पवित्र धागा) बांध दिया, जिससे उन्हें राक्षस को हराने की शक्ति मिली। रक्षा बंधन के दिन, बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं। राखियाँ आमतौर पर सूती या रेशमी धागे से बनी होती हैं और मोतियों, फूलों और अन्य आभूषणों से सजाई जाती हैं। बदले में, भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं, जैसे कि मिठाई, कपड़े और आभूषण।

रक्षा बंधन भी परिवारों के लिए एकजुट होने और भाई-बहनों के बीच प्यार और बंधन का जश्न मनाने का समय है। वे उपहार, मिठाई और भोजन का आदान-प्रदान कर सकते हैं, और पूजा (प्रार्थना) कर सकते हैं। यह त्योहार प्रेम, सुरक्षा और कर्तव्य के महत्व की याद दिलाता है। यह भी एक समय है जब भाइयों और बहनों के बीच के बंधन को मजबूत किया जाता है।

Raksha bandhan 2023 date
Raksha bandhan 2023 date, समय, इतिहास, अनुष्ठान और राखी का महत्व

रक्षा बंधन के साथ जुड़े कुछ अनुष्ठान हैं:

  • बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती है।
  • भाई अपनी बहन के माथे पर तिलक (आशीर्वाद का निशान) लगाता है।
  • भाई और बहन उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं।
  • परिवार एक पूजा (प्रार्थना) कर सकता है ताकि भाइयों और बहनों के लिए आशीर्वाद मांग सकें।
  • वे एक साथ भोजन भी कर सकते हैं।

रक्षा बंधन एक खुशहाल अवसर है जो पूरे भारत में उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह भाई-बहनों के बीच प्यार और बंधन को फिर से पुष्ट करने का समय है, और उनकी भलाई (सुरक्षा ) के लिए प्रार्थना करने का समय है।

Table of Contents

रक्षा बंधन भद्रा काल का समय

रक्षाबंधन 2023 बुधवार, 30 अगस्त 2023 को मनाया जाएगा। पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को सुबह 10:59 बजे से शुरू होगी और 31 अगस्त को सुबह 7:05 बजे तक रहेगी। पूर्णिमा तिथि के साथ ही भद्रा काल भी शुरू हो जाएगा, जो 30 अगस्त को रात 9:02 बजे तक रहेगा।

इसलिए, 30 अगस्त को भद्रा काल के दौरान राखी नहीं बांधी जा सकती है। राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त को रात 9:03 बजे से 11 बजे तक है। अगले दिन यानी 31 अगस्त को सुबह 7 बजे से पहले भी राखी बांधी जा सकती है।

भद्रा काल को अशुभ माना जाता है। इस समय कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। इसलिए, भद्रा काल के दौरान राखी नहीं बांधी जाती है।

रक्षा बंधन शुभ मुहूर्त

रक्षाबंधन 2023 बुधवार, 30 अगस्त 2023 को मनाया जाएगा। इस दिन पूर्णिमा तिथि सुबह 10:59 बजे से शुरू होगी और 31 अगस्त को सुबह 7:05 बजे तक रहेगी।

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त को रात 9:03 बजे से 11 बजे तक है। अगले दिन यानी 31 अगस्त को सुबह 7 बजे से पहले भी राखी बांधी जा सकती है।

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:

  • 30 अगस्त, 2023, बुधवार
  • रात्रि 9:03 बजे से 11:00 बजे तक
  • प्रात: 7:00 बजे से पूर्व

भद्रा काल 30 अगस्त को सुबह 10:59 बजे से शुरू होगा और रात 9:02 बजे तक रहेगा। इसलिए, भद्रा काल के दौरान राखी नहीं बांधी जा सकती है।

रक्षा बंधन 2023: अनुष्ठान

रक्षा बंधन, जिसे राखी का त्योहार भी कहा जाता है, एक हिंदू और भारतीय त्योहार है जो भाई और बहन के बीच प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। यह हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।

रक्षा बंधन के दिन, बहनें अपने भाइयों की कलाई पर एक राखी बांधती हैं और उनके लंबे जीवन और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं। भाई अपनी बहनों को उपहार और भेंट देते हैं।

रक्षा बंधन के अनुष्ठान इस प्रकार हैं:

  • सुबह जल्दी उठें और स्नान करें।
  • एक साफ थाली में रोली, अक्षत, फूल, मिठाई और एक राखी रखें।
  • भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठाएं।
  • बहन भाई के माथे पर रोली का तिलक लगाती है।
  • बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसके लंबे जीवन और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती है।
  • भाई अपनी बहन को उपहार और भेंट देता है।
  • बहन और भाई एक-दूसरे को गले लगाते हैं और मिठाई खाते हैं।

रक्षा बंधन के दिन, लोग एक-दूसरे के घर जाते हैं और राखी बांधते हैं। यह एक खुशहाल और समृद्ध वर्ष का प्रतीक है।


रक्षा बंधन 2023: महत्व

रक्षा बंधन, जिसे राखी का त्योहार भी कहा जाता है, एक हिंदू और भारतीय त्योहार है जो भाई और बहन के बीच प्रेम, समर्पण और सुरक्षा का प्रतीक है। यह हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।

रक्षा बंधन का महत्व कई तरह से समझा जा सकता है। सबसे पहले, यह एक त्योहार है जो भाई और बहन के बीच के अनूठे बंधन का जश्न मनाता है। बहन अपने भाई को राखी बांधती है, जो उसके प्यार, सुरक्षा और भक्ति का प्रतीक है। भाई बदले में, अपनी बहन को उपहार देता है और उसे जीवन भर की सुरक्षा का वादा करता है।

दूसरे, रक्षा बंधन एक त्योहार है जो परिवार के महत्व को याद दिलाता है। यह एक समय है जब भाई और बहन एक-दूसरे के करीब आते हैं और अपने रिश्ते को मजबूत करते हैं। यह एक समय है जब परिवार के सदस्य एक साथ आते हैं और एक दूसरे के साथ प्यार और देखभाल का आदान-प्रदान करते हैं।

तीसरा, रक्षा बंधन एक त्योहार है जो सुरक्षा का प्रतीक है। राखी को एक पवित्र धागा माना जाता है जो भाई और बहन को बुरी आत्माओं और दुर्भाग्य से बचाता है। यह एक समय है जब भाई और बहन एक दूसरे के लिए अपनी चिंता और प्यार व्यक्त करते हैं।

रक्षा बंधन एक खूबसूरत और महत्वपूर्ण त्योहार है जो भाई और बहन के बीच के बंधन को मजबूत करता है। यह एक समय है जब परिवार के सदस्य एक-दूसरे के करीब आते हैं और अपने रिश्ते को मनाते हैं।

रक्षा बंधन 2023: इतिहास

यमुना ने अपने भाई यम को राखी बांधी

हाँ, यह सही है कि यमुना ने अपने भाई यम को राखी बांधी थी। यह एक प्रसिद्ध हिंदू पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि यमुना, जो एक नदी देवी हैं, अपने भाई यम से बहुत प्यार करती थीं। यम, मृत्यु के देवता थे, और वे अक्सर अपने कर्तव्यों में इतने व्यस्त रहते थे कि वे अपनी बहन को समय नहीं दे पाते थे। यमुना को इस बात का दुख होता था, और इसलिए उन्होंने एक दिन एक राखी बनाकर अपने भाई को बांधी। राखी को बांधते हुए, उन्होंने अपने भाई से उनका हमेशा ध्यान रखने और उनकी रक्षा करने का वादा किया। यम ने इस वादे को माना और यमुना को हमेशा प्यार और सुरक्षा का आश्वासन दिया।

यह कहानी रक्षा बंधन के त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस त्योहार पर, बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं और उनके लंबे जीवन और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं। भाई बदले में, अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उन्हें जीवन भर की सुरक्षा का वादा करते हैं।

रक्षा बंधन एक खूबसूरत और महत्वपूर्ण त्योहार है जो भाई और बहन के बीच के बंधन को मजबूत करता है। यह एक समय है जब परिवार के सदस्य एक-दूसरे के करीब आते हैं और अपने रिश्ते को मनाते हैं।

देवी लक्ष्मी भगवान बलि को पवित्र धागा बांध रही हैं

ऐसा माना जाता है कि देवी लक्ष्मी ने भगवान बलि को पवित्र धागा बांधा था। यह एक प्रसिद्ध हिंदू पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु, जो देवताओं के राजा हैं, ने एक बार असुर राजा बलि को हराया था। बलि ने अपनी हार स्वीकार कर ली और भगवान विष्णु से कहा कि वह उन्हें अपने घर में रहने दे। भगवान विष्णु ने सहमति व्यक्त की और बलि के घर में रहने लगे।

देवी लक्ष्मी, भगवान विष्णु की पत्नी, बलि के घर में रहने से खुश नहीं थीं। उन्हें लगता था कि बलि एक असुर है और वह उनके पति को नुकसान पहुंचा सकता है। एक दिन, देवी लक्ष्मी ने एक ब्राह्मण महिला का रूप धारण किया और बलि के घर में गई। उन्होंने बलि से कहा कि वे उनकी बहन हैं और उन्होंने उन्हें राखी बांधने का अनुरोध किया। बलि ने राखी को स्वीकार कर लिया और देवी लक्ष्मी को अपने घर में रहने दिया।

देवी लक्ष्मी को बलि की भक्ति और उदारता से प्रसन्न हुआ। उन्होंने बलि को आशीर्वाद दिया और उन्हें एक पवित्र धागा बांधा। इस धागे को राखी कहा जाता है। राखी को बांधते हुए, देवी लक्ष्मी ने बलि से कहा कि वह उन्हें हमेशा अपने भाई के रूप में मानेंगे और उनकी रक्षा करेंगे। बलि ने इस वादे को माना और देवी लक्ष्मी को हमेशा प्यार और सुरक्षा का आश्वासन दिया।

यह कहानी रक्षा बंधन के त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस त्योहार पर, बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं और उनके लंबे जीवन और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं। भाई बदले में, अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उन्हें जीवन भर की सुरक्षा का वादा करते हैं।

रक्षा बंधन एक खूबसूरत और महत्वपूर्ण त्योहार है जो भाई और बहन के बीच के बंधन को मजबूत करता है। यह एक समय है जब परिवार के सदस्य एक-दूसरे के करीब आते हैं और अपने रिश्ते को मनाते हैं।

भगवान कृष्ण और द्रौपदी

भगवान कृष्ण और द्रौपदी महाभारत के दो सबसे महत्वपूर्ण पात्र हैं। वे दोनों ही अत्यंत शक्तिशाली और बुद्धिमान थे। कृष्ण, देवताओं के राजा और द्रौपदी, पांच पांडवों की पत्नी थीं।

कृष्ण और द्रौपदी के बीच एक विशेष बंधन था। कृष्ण द्रौपदी को अपनी सखी मानते थे और वे भी कृष्ण को अपना सखा मानती थीं। कृष्ण ने द्रौपदी को कई बार अपनी शक्ति और बुद्धि से बचाया था। एक बार, जब द्रौपदी का चीरहरण किया जा रहा था, तो कृष्ण ने एक चमत्कार किया और द्रौपदी की साड़ी को अनंत बना दिया।

कृष्ण और द्रौपदी के बीच का बंधन अत्यंत मजबूत था। वे दोनों ही एक-दूसरे के लिए हमेशा खड़े थे। वे दोनों ही महाभारत के युद्ध में भी एक-दूसरे के साथ थे।

कृष्ण और द्रौपदी का बंधन भाई-बहन के बंधन से भी अधिक था। वे दोनों ही एक-दूसरे के लिए सबसे अच्छे दोस्त थे। वे दोनों ही एक-दूसरे की ताकत और कमजोरी को जानते थे। वे दोनों ही एक-दूसरे को पूरी तरह से समझते थे।

कृष्ण और द्रौपदी का बंधन एक अद्वितीय और खूबसूरत बंधन था। यह एक बंधन था जो प्रेम, दोस्ती और विश्वास पर आधारित था। यह एक बंधन था जो समय और परिस्थितियों के बावजूद हमेशा मजबूत बना रहा।

संतोषी माता का जन्म

संतोषी माता का जन्म की कहानी हिंदू धर्मग्रंथों में नहीं मिलती है। यह एक अपेक्षाकृत नई कहानी है जो 1960 के दशक की शुरुआत में उभरी।

कहानी के अनुसार, संतोषी माता भगवान गणेश और उनकी पत्नी सिद्धि से पैदा हुई थीं। गणेश के दो बेटे थे, शुभ और लाभ। एक दिन, शुभ और लाभ अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे जब उन्होंने एक लड़की को रक्षा बंधन का त्योहार मनाते हुए देखा। उन्होंने अपने पिता से पूछा कि क्या उन्हें भी एक बहन हो सकती है। गणेश ने सहमति व्यक्त की और विष्णु से प्रार्थना की, जिन्होंने उन्हें एक बेटी दी।

बेटी का नाम संतोषी माता रखा गया था। वह एक दयालु और करुणामयी देवी थीं जो हमेशा जरूरतमंदों की मदद करती थीं। वह बहुत धैर्यवान और समझदार भी थीं। संतोषी माता जल्द ही बहुत लोकप्रिय हो गईं और लोग उनकी पूजा करने लगे।

संतोषी माता व्रत एक 16-दिवसीय उपवास है जो महिलाओं द्वारा देवी के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। व्रत बहुत कठिन है और महिलाओं को अनाज, नमक या मसालों का सेवन नहीं करना चाहिए। वे बाल या नाखून नहीं काट सकते हैं।

संतोषी माता व्रत को बहुत शक्तिशाली माना जाता है और कहा जाता है कि जो लोग इसे भक्ति से करते हैं उन्हें खुशी, समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होगा।

रानी कर्णावती ने बादशाह हुमायूँ को राखी भेजी

रानी कर्णावती ने मुगल सम्राट हुमायूँ को राखी भेजी थी। यह एक ऐतिहासिक घटना थी जो 1535 में हुई थी। उस समय, रानी कर्णावती मेवाड़ की रानी थीं। उन्होंने राखी भेजकर हुमायूँ से मदद मांगी थी क्योंकि उनका राज्य बहादुर शाह गुजरात के द्वारा हमला किया जा रहा था।

हुमायूँ ने राखी को स्वीकार कर लिया और मेवाड़ की मदद के लिए आगे बढ़े। उन्होंने बहादुर शाह को हराया और रानी कर्णावती को उनकी रियासत वापस दिला दी।

रानी कर्णावती और हुमायूँ के बीच राखी का आदान-प्रदान एक ऐतिहासिक घटना थी जो भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह दिखाता है कि धर्म और संस्कृति के बावजूद, लोग एक-दूसरे की मदद के लिए तैयार हैं।

FaQ Raksha bandhan 2023 date

2023 में रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त कब है?

राखी बांधने का उत्तम मुहूर्त-

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, 30 अगस्त को राखी रात 09 बजकर 02 मिनट के बाद से रात 12 बजे तक बांधी जा सकेगी। इसके बाद 31 अगस्त को सूर्योदय से सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक राखी बांधना शुभ रहेगा

रक्षा बंधन 2023 का समय क्या है 30?

Raksha bandhan 2023 Date: रक्षाबंधन का त्योहार आज 31 अगस्त को भी मनाया जा रहा है। 30 अगस्त को भद्रा होने के कारण इस साल रक्षाबंधन दो दिन मनाया जाएगा। 30 अगस्त को भद्रा खत्म होने के बाद राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 09 बजकर 02 मिनट के बाद शुरू हो चुका है। रात 12 बजे तक राखी बांधी जा सकेगी

रक्षाबंधन कब है 2023 शुभ मुहूर्त 31 August?

हिंदू कैलेंडर के अनुसार 31 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा की तिथि शाम 07 बजकर 05 मिनट तक रहेगी और इस दौरान भद्रा का साया नहीं रहेगा। इस कारण 31 अगस्त को सुबह 07:05 बजे तक राखी बांधना शुभ रहेगा।

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त कितने तारीख को है?

रक्षाबंधन पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त की रात 9 बजकर 2 मिनट से लेकर 31 अगस्त की सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक रहेगा.

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त कितनी तारीख का है?

रक्षा बंधन शुभ मुहूर्त (Raksha Bandhan 2023 Shubh Muhurat)

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त को रात 09 बजकर 01 मिनट के बाद से शुरू होगा और इस मुहूर्त का समापन 31 अगस्त को सूर्योदय काल में सुबह 07 बजकर 05 बजे पर होगा.

भद्रा काल क्या होता है?

ज्‍योतिष शास्त्र के मुताबिक, भद्रा काल को अशुभ काल माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भद्रा सूर्यदेव की बेटी है और शनिदेव की बहन। ऐसा माना जाता है कि भद्रा का स्वभाव शनि देव की तरह कठोर है। इनके इस स्वभाव पर काबू करने के लिए ब्रह्माजी ने उन्हें पंचांग में विष्टि करण के रूप में जगह दी थी।

भद्रा में राखी क्यों नहीं बांधी जाती है?

राखी बांधने का शुभ समय पूर्णिमा तिथि के दौरान है, जो 30 अगस्त को सुबह 10:45 बजे शुरू होगी। हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भद्रा, जिसे अशुभ माना जाता है, भी उसी समय शुरू होगी और रात 9:03 बजे समाप्त होगी। इसलिए इस दौरान राखी का त्योहार न मनाने की सलाह दी जाती है.

रक्षा बंधन 2023 में कितने दिन बाकी हैं?

आज, 29 अगस्त, 2023 तक, भारत में रक्षा बंधन (राखी) 2023 आने में 01 दिन शेष है। इस वर्ष, रक्षा बंधन बुधवार, 30 अगस्त, 2023 को मनाया जाएगा।

भद्रा कितने बजे से लगेगा 2023?

लेकिन, ये जानना भी जरूरी है, आखिर भद्रा क्या है, जिसमें कोई शुभ कार्य नहीं होते हैं. इस बार जिस समय पूर्णिमा तिथि लग रही है, उसी समय भद्रा की शुरूआत भी हो जाएगी. पूर्णिमा तिथि आज सुबह आज सुबह 10 बजकर 59 मिनट से शुरू हो जाएगी और पूर्णिमा तिथि का समापन कल 31 अगस्त की सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर होगा.

रक्षाबंधन कब है 2023 शुभ मुहूर्त Marathi today?

बहरहाल, भद्रा की उपस्थिति के कारण राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त की रात को शुरू हुआ था और 31 अगस्त की सुबह तक चलेगा। भद्रा काल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है। राखी बांधने का मुहूर्त: 30 अगस्त 2023 को रात 9:03 बजे से 31 अगस्त 2023 को सुबह 7:07 बजे तक रहेगा

क्या हम रात में राखी बांध सकते हैं?

रक्षा बंधन 2023 तिथि

हालाँकि, इस वर्ष रक्षा बंधन मनाने के दो विकल्प हैं। पहला विकल्प यह है कि भद्रा काल समाप्त होने के बाद यानी 30 अगस्त को रात 9:01 बजे के बाद राखी बांधें । दूसरा विकल्प यह है कि पूर्णिमा तिथि समाप्त होने से पहले यानी 31 अगस्त को सुबह 7:05 बजे से पहले राखी बांध लें।

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रक्षा बंधन का अंतिम शब्द 2023 दिनांक

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